Wednesday, October 16, 2024

शेअर बाज़ार का मूल ज्ञान (Stock Market Basics)

 शेअर बाज़ार का मूल ज्ञान (Stock Market Basics)

आर्थिक बाज़ार (Financial Markets):

आर्थिक बाज़ार लोगों को शेअर्स, बॉन्ड आदि में निवेश करने की सुविधा देते है। आर्थिक बाज़ार को प्रमुख रूप से दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है। वह है नकद बाज़ार (मनी मार्केट) और पूंजी बाज़ार (कॅपिटल मार्केट)।

नकद बाज़ार - मनी मार्केट (Money Market):

मनी मार्केट प्रमुख रूप से डेब्ट सिक्युरिटी, जैसे कि ट्रेजरी बिल आदि के साथ संबंधित होता है। उसमें कम समयवाले डेब्ट ईन्स्ट्रुमेन्ट का ट्रेडिंग होता है।

कॅपिटल मार्केट/शेअर बाज़ार (Capital Market/Stock Market):

कॅपिटल मार्केट में शेअर्स और दीर्घ समयवाले डेब्ट ईन्स्ट्रुमेन्ट का ट्रेडिंग होता है। उसमें डेब्ट और शेअर्स ईन दोनों का ट्रेडिंग किया जाता है।

कॅपिटल मार्केट को और भी दो प्रकार के बाज़ार में विभाजीत किया जा सकता है।

प्राईमरी मार्केट

सेकेन्डरी मार्केट

• प्राईमरी मार्केट में कंपनी स्वयं के शेअर्स लोगों को निवेश करने के लिए पहली बार ऑफर करती है। यह एक ऐसा माध्यम है कि जिसकी मदद से औद्योगिक क्षेत्र की संस्थाए या कंपनियों उनकी योजनाओं के विस्तार के

लिए जरूरी रकम जमा करते है।

• सेकेन्डरी मार्केट में लिस्ट हुए शेअर्स का ट्रेडिंग किया जाता है। इसके

द्वारा लोगों को एक ऐसा प्लॅटफॉर्म मिलता है जहा पर वह शेअर्स, डेब्ट,

डिबेन्चर आदि का लेन-देन करके ट्रेडिंग कर सकते है। आज की

औद्योगिक संस्थाओं के लिए यह एक ऊत्तम मिडियम बना है। जरूरी रकम जमा करने और निवेशकों को अच्छी और फायदेमंद कंपनियों से निवेश करने का मौका मिलता है।

भारत में बहुत से क्षेत्रीय शेअर बाज़ारों के एक्सचेन्ज उपलब्ध हैं जिनमें कंपनियों के शेअर्स का ट्रेडिंग किया जाता है। पर इनमें बताने लायक प्रमुख से ही एक्सचेन्ज है, जिनमें ज्यादातर शेअर्स का अच्छे व्हॉल्युम के साथ ट्रेडिंग होता है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेन्ज - बी.एस.ई (Bombay Stock Exchange - B.S.E):

• यह सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि संपूर्ण एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेन्ज है।

भारत का यह पहला सरकारी अनुमती वाला एक्सचेन्ज है।

• बी.एस.ई. में बोल्ट के आधार पर शेअर्स का ऑनलाईन ट्रेडिंग किया जाता है।

बी.एस.ई. ने भारत में ४०० से भी अधिक शहरों में अपनी सेवा शुरू क है।

नेशनल स्टॉक एक्सचेन्ज एन.एस.ई (National Stock Exchange - N.S.E):

नेशनल स्टॉक एक्सचेन्ज (एन.एस.ई.) में अप्रेल १९९४ से होलमेत डेब्ट मार्केट में ट्रेडिंग शुरू हुआ और जून १९९४ में कॅपिटल मार्केट

यानेकी शेअर्स का ट्रेडिंग शुरू हुआ। तब से आजतक वह एक अच्छे व्हॉल्यूमवाला एक्सचेन्ज बना है।

उसने एनएससीसीएल (NSCCL) की रचना की है जो क्लीअरींग सेटलमेन्ट का कार्य करती है। एन.एस.ई. भारत में उसके टर्मिनल का अच्छा खासा नेटवर्क है।

एन.एस.ई. इंटरनेट पर भी ट्रेडिंग की सुविधा दी जाती है।

ब्रोकर को एक्सचेन्ज का सभासद होना पड़ता है, जिस से निवेशक उनकी मदद से बाज़ार में ट्रेडिंग कर सकते है। फिलहाल दोनों बाज़ार में ट्रेडिंग का समय सुबह ९:०० से दोपहर ३:३० के बिच का है।

ईन्डेक्स (Index):

• (एन.एस.ई.) और (बी.एस.ई.) में लिस्ट हुई हाई लिक्वीडीटी (नगद) वाली कंपनियों के आधार पर उसकी रचना की जाती है। वहा प्रमुख रूप से दो ईन्डेक्स की चर्चा की जाती है सेन्सेक्स और निफ्टी के सेक्टर पर आधारित कई और भी ईन्डेक्स उपलब्ध है।

सेन्सेक्स (Sensex):

• बी.एस.ई. पर आधारित ईन्डेक्स को "सेन्सेक्स" कहा जाता है।

• उसकी रचना सून १९८५ में हुई और उसकी गिणती मार्केट कॅपिटलायजेशन वेटेड तरीके से हुई।

• बी.एस.ई. में विविध क्षेत्र पर प्रभुत्ववाले "३०” कंपनियों का समावेष किया गया है।

• बी.एस.ई. का सून १९७८-७९ बेस वर्ष माना जाता है।

• भारतीय अर्थतंत्र की स्थिति का चित्रण करने के लिए उसे बहुत ही महत्वपूर्ण समझा जाता है।

निफ्टिी (Nifty):

• एन.एस.ई. पर आधारित ईन्डेक्स को "निफ्टी" कहा जाता है।

• एन.एस.ई. में २२ विविध क्षेत्रों में प्रभुत्ववाली "५०” कंपनियों का समावेष किया गया है।

• उसकी रचना बी.एस.ई. से कुछ अलग है। सेन्सेक्स में फ्लोटिंग कॅपिटलायजेशन के आधार पर ईन्डेक्स की गणना की जाती है। जिससे

निफ्टी से एक कदम पिछे है और उसकी गणना उसमें के ५० शेअर्स के संपूर्ण कॅपिटलायजेशन से की जाती है।

उसकी रचना सून १९९५ में हुई और उसका बेस स्तर १००० का माना जाता है।

उसका उपयोग विविध कार्य जैसे कि फंड पोर्टफोलिओ, ईन्डेक्स पर आधारित डेरिवेटिव्हज और ईन्डेक्स फंड के बेन्च मार्किंग के लिए किया जाता है।

सेबी सिक्योरिटीज अॅन्ड एक्सचेन्ज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI Securities and Exchange Board of India):

सेबी की रचना अप्रेल १२, १९९२ में हुई। वह प्रमुखरूप से केंन्द्रीय सरकार के नियंत्रण की भूमिका निभाती है।

उसका मुख्य हेतू और कार्य नीचे की तरह है।

उसकी मूलभूत जिम्मेदारी निवेशकों के हितों का रक्षण करना यह है और बाज़ार में जरूरी कानून और नियमों का पालन हो रहा है या नहीं यह देखना है।

शेअर बाज़ार की प्रगती और उसके नियमों का पालन।

फ्युचर और ऑप्शन के बाज़ार का नियमन करना।

पोर्टफोलीओ मॅनेजमेन्ट के लिए जरूरी मार्गदर्शन करना।

• शेअर बाज़ार और अन्य बाज़ार के साथ जुड़े हुए मध्यस्थ लोगों का मार्गदर्शन करना।

शेअर ट्रान्सफर एजन्ट और रजिस्ट्रार ईन्हे मार्गदर्शक सूचनाएं देना।

आयपीओ, म्युच्युअल फंड और डेब्ट ईन्स्ट्रुमेन्ट के लिए योग्य सूचनाएं देना।

कंपनी टेकओवर के लिए जरूरी मार्गदर्शन करना।

ईन्साईडर ट्रेडिंग के लिए मार्गदर्शन करना।

औद्योगिक संस्थाओं के लिए आवश्यक आचार संहिता का पालन करना।

निवेशक ने यदी कोई फिर्याद की हो तो सेबी के समक्ष वह अपनी फिर्याद लिखित स्वरूप में पेश कर सकते।


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